BA Semester-5 Paper-2 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2802
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर


४. कृ

अकुर्वन्

अकुर्वन - क्री धातु लङ्लकार परस्मैपद प्रथम पुरुष बहुवचन
कृ - भूवादयो धातवः से कृ की धातु संज्ञा
- डुकृञ् करणे के कृ धातु करण अर्थ में विद्यमान सकर्मक धातु है।
कृ + लङ - अनद्यतने लङ् से अनद्यतन भूतकाल अर्थ में लङ् लकार आयी।
कृ + ल् - लङ् के अनुबन्धों का लोप होकर ल शेष
कृ + झि - तिप्तस्झि ३० से १८ प्रत्ययों की प्राप्ति, शेषे प्रतमः से झि आया।
"कृ - यस्मात्प्रत्यय ---- ० से अंग संज्ञा।
अट् + कृ + झि - 'लुङ्लृङ्लृङक्ष्वडुदात्तः' से अट् का आगम।
अ + कृ + झि - अट् के टू की हलन्त्यम् से इत्संज्ञा तथा तस्यलोपः से लोप
अ + कृ + झि - अट् के ट् की हलन्त्यम् से इत्संज्ञा तथा तस्यलोपः से लोप
अ + कृ + अन्ति - 'झोऽन्त' से झि के झकार को अन्त आदेश
अ + कृ + अन्त् - इतश्च से इकार का लोप
अ + कृ + उ + अन्त - शप् को बाध करके तनादिकृञभ्य उ:' से उ प्रत्यय आया।
अ + कुर् + उ + अन्त् - अत उत्सार्व धातु के से आकार को उकार होता है।
अ + कुर् + व + अन्त - उ को यण् (होता है) 'व' आता है।
अ + कुर् + व + अन् - संयोगात्तस्य लोपः से न और तू का संयोग होकर संयोग के अन्त तकार का लोप
अकुर्वन - अन्ततः वर्ण - सम्मेलन से अकुर्वन् सिद्ध हुआ।

क्रीणन्ति

क्री - 'वर्तमाने लट्' से लट् प्रत्यय
क्री -+ लट् - लट् के अनुबन्धों को हटाने पर
क्री + ल् - कर्ता के प्रथम पुरुष बहुवचन की विवक्षा में ल के स्थान पर झि आदेश
क्री + झि - क्रयादिभ्यः श्ना से श्ना का विकरण
क्री + श्ना + झि - श्ना' के अनुबन्ध को हटाने पर
क्री + ना + झि - झोऽन्तः' से 'झि' के झकार को अन्त् आदेश
क्री + ना + अन्त + इ - 'अटकुरवाङनुम्व्यवायोऽपि से 'श्ना' के नकार का णकार
क्रीणा + अन्ति - 'श्नाभ्यस्तयोरातः' से ङित् सार्वधातुक के परे रहते 'श्ना' (णा) के आकार का
लोप होकर।
क्रीणन्ति - यह रूप सिद्ध हुआ।

कुरुतः

कृ + लट् - वर्तमाने लट् सूत्र से लट्
कृ + ल् - की प्राप्ति
कृ + तस् - तिप्तम्झि - ----------०, सूत्र से तस् प्रत्यय की आगम सार्वधातुक संज्ञा, शप का आगम परन्तु उसे बाँधकर
कृ + उ + तस् - ‘तनादिकृञ्भ्यः उ: सूत्र से उ प्रत्यय
कर् + उ + तस् - 'अत उत्सार्वधातुके' सूत्र से ऋकार को उ प्रत्यय
कुर् + उ + तस् - निमित्तक गुण अर् हुआ
कुर् + उ + तस् - तथा तस् अपित होने से डिइत होने के कारण अकार को उकार
कुरु + तस् - होकर
कुरुतः - तस् में सकार को रुत्व-विसर्ग होकर कुरुतः रूप निष्पन्न हुआ।

कुर्वः

कृ + लट् - वर्तमाने लट् सूत्र से लट्
कृ + ल् - की प्राप्ति
- कृ के = ॠ का उकार करने पर
कु + ल् - ल का व होने पर
कु + र + व - नियित्तिक गुण आ होने पर
- विसर्ग करने पर
कु + र + तः - कुर्वः यह रूप सिद्ध होता है।

करिष्यामि

कू - 'लृट् शेषे च' से लृट् प्रत्यय
कृ + लृट् - लृट् के अनुबन्धों को हटाने पर
कृ + ल् - कर्ता के उत्तम पुरुष एकवचन की विवक्षा में मिप् प्रत्यय
कृ + मिप् - स्यतासी लृलुटोः से स्य का विकरण
कृ + स्य + मिप् - 'आर्धधातुकस्येङ् वलादेः से इट् का आगम
कृ + इट् + स्य + मिप् - इट् और मिप् के अनुबन्धों को हटाने पर
कृ + इस्य + मि - 'आदेश प्रत्यययोः' से स को ष होकर
करिष्यामि - यह रूप सिद्ध हुआ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निम्नलिखित क्रियापदों की सूत्र निर्देशपूर्वक सिद्धिकीजिये।
  2. १. भू धातु
  3. २. पा धातु - (पीना) परस्मैपद
  4. ३. गम् (जाना) परस्मैपद
  5. ४. कृ
  6. (ख) सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या (भ्वादिगणः)
  7. प्रश्न- निम्नलिखित की रूपसिद्धि प्रक्रिया कीजिये।
  8. प्रश्न- निम्नलिखित प्रयोगों की सूत्रानुसार प्रत्यय सिद्ध कीजिए।
  9. प्रश्न- निम्नलिखित नियम निर्देश पूर्वक तद्धित प्रत्यय लिखिए।
  10. प्रश्न- निम्नलिखित का सूत्र निर्देश पूर्वक प्रत्यय लिखिए।
  11. प्रश्न- भिवदेलिमाः सूत्रनिर्देशपूर्वक सिद्ध कीजिए।
  12. प्रश्न- स्तुत्यः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
  13. प्रश्न- साहदेवः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
  14. कर्त्ता कारक : प्रथमा विभक्ति - सूत्र व्याख्या एवं सिद्धि
  15. कर्म कारक : द्वितीया विभक्ति
  16. करणः कारकः तृतीया विभक्ति
  17. सम्प्रदान कारकः चतुर्थी विभक्तिः
  18. अपादानकारकः पञ्चमी विभक्ति
  19. सम्बन्धकारकः षष्ठी विभक्ति
  20. अधिकरणकारक : सप्तमी विभक्ति
  21. प्रश्न- समास शब्द का अर्थ एवं इनके भेद बताइए।
  22. प्रश्न- अथ समास और अव्ययीभाव समास की सिद्धि कीजिए।
  23. प्रश्न- द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक) पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- द्वन्द्व समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिकरण कारक कितने प्रकार का होता है?
  26. प्रश्न- बहुव्रीहि समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  27. प्रश्न- "अनेक मन्य पदार्थे" सूत्र की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
  28. प्रश्न- तत्पुरुष समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  29. प्रश्न- केवल समास किसे कहते हैं?
  30. प्रश्न- अव्ययीभाव समास का परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- तत्पुरुष समास की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- कर्मधारय समास लक्षण-उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- द्विगु समास किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
  35. प्रश्न- द्वन्द्व समास किसे कहते हैं?
  36. प्रश्न- समास में समस्त पद किसे कहते हैं?
  37. प्रश्न- प्रथमा निर्दिष्टं समास उपर्सजनम् सूत्र की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  38. प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
  39. प्रश्न- अव्ययी भाव समास कितने अर्थों में होता है?
  40. प्रश्न- समुच्चय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- 'अन्वाचय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
  42. प्रश्न- इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- समाहार द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरणपूर्वक समझाइये |
  44. प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
  45. प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
  46. प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति के प्रत्यक्ष मार्ग से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण विवेचन कीजिए।
  47. प्रश्न- भाषा की परिभाषा देते हुए उसके व्यापक एवं संकुचित रूपों पर विचार प्रकट कीजिए।
  48. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- भाषा-विज्ञान के क्षेत्र का मूल्यांकन कीजिए।
  50. प्रश्न- भाषाओं के आकृतिमूलक वर्गीकरण का आधार क्या है? इस सिद्धान्त के अनुसार भाषाएँ जिन वर्गों में विभक्त की आती हैं उनकी समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ कौन-कौन सी हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का संक्षेप मेंउल्लेख कीजिए।
  52. प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- भाषा के आकृतिमूलक वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- अयोगात्मक भाषाओं का विवेचन कीजिए।
  56. प्रश्न- भाषा को परिभाषित कीजिए।
  57. प्रश्न- भाषा और बोली में अन्तर बताइए।
  58. प्रश्न- मानव जीवन में भाषा के स्थान का निर्धारण कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
  60. प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- संस्कृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  62. प्रश्न- संस्कृत साहित्य के इतिहास के उद्देश्य व इसकी समकालीन प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
  63. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन की मुख्य दिशाओं और प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए किसी एक का ध्वनि नियम को सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- वैदिक भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- वैदिक संस्कृत पर टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- संस्कृत भाषा के स्वरूप के लोक व्यवहार पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।

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